मुहावरे
कुछ वाक्य या वाक्यांश भाषा में साधारण अर्थ न बतलाकर विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, उन्हें मुहावरा कहते हैं | जैसे: हाथ मलना (पछताना) , भीगी बिल्ली बनना (डर से दब जाना), आँखों का तारा (अत्यधिक प्रिय) , लाल पीला होना
लोकोक्तियाँ
लोकोक्ति शब्द दो शब्दों के योग से बना है – लोक + उक्ति ,
जिसका अर्थ है – लोक प्रसिद्ध बात या लोक में प्रचलित बात | इन्हें कहावतें भी
कहते हैं | जैसे : अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत, जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं
हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और
मुहावरे और लोकोक्ति
में अंतर 👈👉
मुहावरे लोकोक्ति
· मुहावरे वाक्य का अंग होते हैं | * लोकोक्तियों का स्वतंत्र अस्तित्व होता है
· मुहावरे अपना शाब्दिक अर्थ न देकर * लोकोक्तियाँ पूरे वाक्य का सार बताती हैं
विशेष अर्थ देते हैं |
* आकाश के तारे तोड़ना = असंभव काम करना
* अंग-अंग
मुस्कराना = बहुत प्रसन्न होना
* लोहा लेना = मुकाबला करना
* इतिश्री
करना =
समाप्त करना
* उड़ती
खबर पाना = अफवाह सुनना
* उल्लू
बनाना =
मूर्ख बनाना
* छक्के छुड़ाना = बुरी तरह हराना * अँगूठा दिखाना = साफ इंकार करना
* कठपुतली
बनना = अधीन रहना
* गले का
हार =
बहुत प्यारा
लोकोक्तियाँ एवं उनका अर्थ 👈👇👉
* कंगाली में आटा गीला = मुसीबत पर मुसीबत आना
* जिसकी लाठी उसकी भैंस = शक्तिशाली की विजय होती है
* जिस
थाली में खाना उसी में छेद करना = सहारा देने वाले को ही नुकसान पहुँचाना
* होनहार
बीरवान के होत चीकने पात = श्रेष्ठ व्यक्ति के गुण बचपन से ही दिखाई देते हैं
* चोर-चोर
मौसेरे भाई = सामान पेशे वालों में दोस्ती होती है
* जल में
रहकर मगर से वैर = अधिकारी का विरोध करना ठीक नहीं
* नौ दिन
चले अढ़ाई कोस = धीमी गति से कार्य करना
* कोयलों
की दलाली में मुँह काला = बुरे व्यक्ति के साथ रहने से बुराई ही मिलती है
* धोबी का
कुत्ता न घर का न घाट का = किसी काम का न
होना
मुहावरों के आधार पर
कविता
आँख से सम्बन्धित
मुहावरों से बनी कविता 👀👀
आँख बिछाए बैठा था मैं,
लगी आँख है अभी-अभी,
आँख दिखाकर जिसे डराया,
उससे आँख चुराना क्या?
आँखें चार हुई हैं जिससे,
उससे आँख बचाना
क्या ?
आँख मिलाकर बात करो तुम,
आँख मारकर कहना क्या ?
आँखों में बस गया कभी जो,

कान लगाकर सुनो बात मेरी,
बनो न कान के कच्चे तुम |
कानों-कान खबर न करना,
कान कभी न खाना तुम |
कान पर तुम्हारे जूँ न रेंगती,
कान काटना छोड़ो तुम |
कान पकड़कर कर लो तौबा,
मुहावरों से संबंधित गतिविधियाँ
होनहार बिरवान के भी
कान होते हैं
के होत चिकने पात
दीवारों 😊 अंधों में चौपट राजा
काना राजा
अंधेर नगरी
खिसियानी बिल्ली
कुत्ता खाय
अंधी पीसे
😊 चादर के बाहर पानी
😊 नहीं ठहरता
पाँव फैलाना
👈👉👍👇😊
* अंधी पीसे कुत्ता खाय * चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता
* होनहार बिरवान के होत चिकने पात * अंधेर नगरी चौपट राजा
* दीवारों के भी कान होते हैं * अंधों में काना राजा
* है कोई मुझ जैसा ? 😇😊😇
जमीन आसमान एक
करना प्राण हथेली पर रखना
रात-दिन एक करना सिर पर कफन बाँधना
दोनों हाथों में लड्डू
पाँचो उंगलियाँ घी में
राई का पहाड़
बनाना आ बैल मुझे मार
तिल का ताड़ बनाना अपने पाँव पर खुद कुल्हाड़ी मारना
बाँछें खिल जाना
फूला न समाना
आँच न आने देना हक्का-बक्का रह जाना
बाल बाँका न होने देना ठगा- सा रह जाना
जल भुन कर कोयला होना
छाती पर साँप लोटना
दुम दबाकर
भागना प्राण पखेरू
उड़ना
नौ दो ग्यारह होना आँखें मूँद लेना
आँखें नीची होना
पानी-पानी होना
एक आँख से
देखना सब गुड़ गोबर
हो जाना
एक लाठी से
हाँकना किए कराए पर
पानी फिरना
* बोलते मुहावरे * कहाँ है गलती ?
* सिर मुड़ाते ही पत्थर पड़े (ओले)
* ऊँची दुकान मीठे पकवान (फीके)
* बंदर क्या जाने आलू का स्वाद (अदरक)
* कंगाली में चावल गीला (आटा)
* मुहावरों में वार्तालाप 👦👧👦👧
👧 पहला दल – हम भी इस
मुकाबले के लिए कमर कसकर तैयार हैं |
👦 दूसरा दल – हमने भी
कोई चूड़ियाँ नहीं पहन रखी है |
👧 - हम भी ईंट का जवाब पत्थर से देंगे |
👦 - अरे वाह! अभी दूध के दाँत टूटे नहीं
और चले हैं शेर के मुँह में हाथ डालने|
👦 - हमने भी तुम्हें छठी का दूध याद न
दिलाया, तो हमारा नाम बदल देना |
👧 - हुँह! ये मुँह और मसूर की दाल ?
👦 - तुम अपने आपको किस खेत की मूली समझते हो ?
👧 - हम वो बला हैं जो शीशे से पत्थर को
काटते हैं |
👦 - इतना बढ़-बढ़कर तुम मत बोलो , नहीं तो
मुँह के बल गिरोगे |
👧 - तुम हमारी चिंता मत करो , हम तो बहुत
पहुँचे हुए हैं |
👦 - हमने भी घाट-घाट का पानी पिया है |
* मुहावरों की अन्त्याक्षरी 👦👧👥👭👱👰👳👲
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